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सशक्तीकरण | नरेगा और सोशल ऑडिट
नरेगा और सोशल ऑडिट

नरेगा और सोशल ऑडिट

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What's Inside

अन्ना मैक्कोर्ड और जॉन परिंग्टन द्वारा प्रस्तुत आलेख- डिगिंग होल्स एंड फीलिंग देम अगेन?हाऊ फॉर डू पब्लिक वर्क्स इनहेन्स लाइवलीहुड के अनुसार-

http://www.odi.org.uk/resources/download/2571.pdf

 

नरेगा को लागू करने में निम्नलिखित बाधाओं का सामना करना पड़ा है -

 

·उपलब्ध राशि का पूरा इस्तेमाल ना होना-: केंद्र सरकार नरेगा के मद में नब्बे फीसदी राशि का अंशदान करती है लेकिन वित्तीय वर्ष २००६-०७ में राज्यों ने केंद्र से मिली राशि का महज इकहत्तर फीसदी इस्तेमाल किया।कुछ राज्यों में तो पचास फीसदी राशि का भी इस्तेमाल नहीं हो पाया।

 

·कम संख्या में रोजगार दे पाना-२००६-०७ के वित्तीय वर्ष में नरेगा से लाभान्वित प्रति परिवार को औसतन ४३ दिनों का काम हासिल हुआ है। नरेगा के अन्तर्गत प्रावधान है कि लाभान्वितों में एक तिहाई महिलाएं होनी चाहिए लेकिन सत्ताइस राज्यों में से ग्याहर राज्य यह लक्ष्य पाने में असफल रहे।

 

· नरेगा को लागू करने में कुछ लापरवाहियां भी हुई हैं, मसलन- सोशल ऑडिट कराने में कोताही बरती गई, जल-संरक्षण के काम अथवा वृक्षारोपण के काम को नरेगा के अन्तर्गत वरीयता दी जानी चाहिए थी लेकिन इस पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया,कार्य-स्थल पर मजदूरों को कामकाज की सुविधाएं मिलें इस बात पर जोर नहीं रहा और बेरोजगारी की एवज में भत्ता देने में कोताही बरती गई।

 

·ज्यादातर लाभार्थियों को यह बात तो पता थी कि नरेगा के अन्तर्गत सौ दिनों का काम मिलेगा लेकिन इस बात के अलावा बाकी प्रावधानों की उन्हें जानकारी नहीं थी।

 

·नरेगा के अन्तर्गत मुहैया कराए गए धन को अनधिकृत कामों में लगाये जाने की घटनाएं हुई हैं और जॉब-कार्ड जारी करने की प्रक्रिया में अथवा किसी कास काम के लिए मजदूरों का पंजीकरण करते वक्त संख्या के हेरफेर से धन का बेजा इस्तेमाल किया गया है।

 

नरेगा की मुख्य विशेषताएं

 

·ग्रामीण रोजगार की गारंटी देने वाला यह अधिनियम सितंबर २००५ में पारित हुआ ।इसका दूरगामी लक्ष्य ग्रामीण इलाके में जीविका की सुरक्षा प्रदान करना है।नरेगा के लक्ष्यों में ग्रामीण इलाके में जीविका की आधारभूत स्थितियां तैयार करना,पर्यावरण की सुरक्षा,महिलाओं का सशक्तीकरण तथा सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देना भी शामिल है।

 

·२००६-०७ के वित्तीय वर्ष में नरेगा के मद में एक सौ तेरह अरब की राशि प्रदान की गई और वित्तीय वर्श २००७-०८ में यह राशि बढ़कर १२० अरब हो गई।नरेगा का लक्ष्य पांच करोड़ ४० लाख की तादाद में मौजूद ग्रामीण गरीबों को लाभ पहुंचाना है।पहले यह योजना कुल २०० जिलों में चालू की गई जिसे अप्रैल २००७ में विस्तार देकर ३३० जिलों तक कर दिया गया।

 

.नरेगा को तैयारी महाराष्ट्र में लागू की गई रोजगार गारंटी की योजना के अनुभवों के आलोक में हुई है। नरेगा रोगार के अधिकार की वैधानिक गारंटी देता है साथ ही इसमें व्यवस्था की गई है कि गरीब व्यक्ति मिलने वाले काम के बारे में फैसले ले सके ताकि उसके द्वारा किया जा रहा काम उसकी जीविका की समस्या को हल करे।

 

·नरेगा के अन्तर्गत कोई अकुशल मजदूर अपने निकटवर्ती स्थानीय सरकारी निकाय में पंजीकरण करवा के जॉब-कार्ड हासिल कर सकता है।यह कार्ड पांच साल की अवधि के लिए वैध होगा।

 

·प्रावधान के अनुसार मजदूर का जहां पजीकरण हुआ है उसके पांच किलोमीटर के दायरे में उसे काम दिया जाएगा साथ ही एक परिवार से एक ही आदमी को काम दिया जाएगा और यह काम सौ दिनों से अधिक का नहीं होगा।

 

·नरेगा के अन्तर्गत ध्यान रखा जाएगा कि जिन मजदूरों को काम मिल रहा है उनमें कम से कम एक तिहाई महिलाएं हों।

 

· महिलाओं और पुरुषों को समान काम के लिए समान मजदूरी मिलेगी और यह मजदूरी राज्यों द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी की दर के हिसाब से होगी।

 

·काम में ठेकेदार नहीं रखे जाएंगे और ना ही ऐसी मशीनों का इस्तेमाल होगा जिससे मजदूरों की तादाद घटती हो।स्थानीय शासन के द्वारा मंजूर काम ही कराए जाएंगे। .

 

·यदि काम मांगने वाले व्यक्ति को अर्जी देने के पन्द्रह दिनों के अंदर काम नहीं मिलता तो उसे बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चाहिए।

 

·काम करने की जगह पर साफ पानी मुहैया कराया जाएगा,मजदूरों के बच्चों के देखभाल की व्यवस्था होगी साथ प्राथमिक उपचार के सामान भी रहेंगे। यदि कोई मजदूर काम के दौरान दुर्घटना का शिकार होता है तो उसका निशुल्क उपचार कराया जाएगा।

 



Rural Expert
 

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