Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
सशक्तीकरण | नरेगा और सोशल ऑडिट
नरेगा और सोशल ऑडिट

नरेगा और सोशल ऑडिट

Share this article Share this article

What's Inside


द स्टेट ऑफ रूरल एम्प्लॉयमेंट; ए लुक एट एमजीनरेगा एक्रोस 5 स्टेट्स इन इंडिया (अक्टूबर 2022 में जारी)
पांच राज्यों में नरेगा की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की गई है। यह रिपोर्ट डलबर्ग ने कंतार के साथ साझेदारी में तैयार की थी। इस रिपोर्ट को बनाने में कई अन्य संगठनों ने भी सहायता की थी।

रिपोर्ट के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिए!

यह रपट एक कोशिश है, नई परतें खोलने की। परतें नरेगा के लाभार्थियों की योजना के साथ चहलकदमी की खोली जाएगी। 
रपट का केंद्र बिंदु– 1, योजना का लाभ लेने के दौरान ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं का अनुभव। 
2, स्थानीय प्रशासन जोकि योजना को धरातल पर लागू कर रहा है, उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

3, नरेगा के दिशानिर्देश और स्थानीय प्रशासन द्वारा उठाए

गए कदमों के बीच का फासला समझना है।

इस रपट का प्राथमिक उद्देश्य नीति निर्माताओं को योजना से जुड़ी सूक्ष्म दृष्टि प्रदान करना और बेहतरी के लिए सलाह–मशवरा देना है। 
इस रिपोर्ट के लिए किए गए सर्वे में पांच राज्यों– आंध्र प्रदेश, झारखंड, कर्नाटका, राजस्थान और उत्तरप्रदेश को शामिल किया गया है। इन पांच राज्यों के 1,500 प्रशासकों और 4,600 घरों से सूचनाएं एकत्रित की गई थी।

पांच राज्यों में रहने वाले नरेगा के लाभार्थियों का अनुभव
नरेगा में नामांकन

  • ग्रामीण क्षेत्र के 47 फिसद निम्न आय वाले परिवारों के पास कम से कम एक सक्रिय जॉब कार्ड था.
  • ग्रामीण क्षेत्र से ताल्लुकात रखने वाले 30 फीसदी युवाओं का नाम जॉब कार्ड में दर्ज था.
  • ग्रामीण क्षेत्र के 29 फीसदी युवाओं का नाम किसी भी सक्रिय जॉब कार्ड पर नहीं था पर वो किसी एक सक्रिय कार्ड में अपना नाम दर्ज करवाना चाहते हैं. और इनमें से अधिकांश युवा (72 फीसदी) ऐसे परिवारों से सम्बन्ध रखते हैं जिनके पास कोई जॉब कार्ड नहीं है.
  • 70 फिसदी कार्ड धारक पिछले वर्ष कम से कम एक बार नरेगा का काम चाहते थे.
  • 18 प्रतिशत जॉब कार्ड धारक नरेगा के तहत काम करना चाहते थे पर आवेदन नहीं जमा कर पाए.

काम मिल रहा है!
जितने भी परिवारों ने मनरेगा के तहत काम की मांग की सबको मिला; लेकिन कम मिला जितना वो चाहते थे उतना नहीं मिला. योजना के लिए योग्य परिवारों ने औसतन 95 दिन के लिए काम चाहते थे. 100 दिन के काम की गारंटी है. लेकिन काम केवल 66 दिन का ही मिला.

मेहनताना मिल रहा है?

  • पिछले वर्ष रोजगार पाने वाले जॉब कार्ड धारकों में से 95 प्रतिशत लाभार्थियों को उनके द्वारा किए गए काम की मजदूरी मिल गई थी. हालांकि 58 प्रतिशत मजदूरों को उनकी मजदूरी समय पर नहीं मिली थी.


शिकायत निवारण
20 फीसदी जॉब कार्ड धारकों को मनरेगा से संबंधित शिकायतें थी. इन शिकायतों के 91 फीसदी का निवारण कर दिया गया था. 20 फीसदी के करीब शिकायतों का पूरी तरह से निवारण हुआ था.

मनरेगा के तहत महिलाओं को रोजगारपिछले पांच वर्षों में मनरेगा के तहत सृजित कार्य दिवसों में महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत से भी अधिक की रही है.
जॉब कार्ड धारी 6 फीसदी महिलाएं आवेदन नहीं कर पाई क्योंकि वहां महिलाओं के कोई काम उपलब्ध नहीं था.

पांच राज्यों के स्थानीय प्रशासन का अनुभव

काम की अधिक मांग है. बजट की कमी रहती है इसलिए अधिक आवेदन स्वीकार नहीं किए जा सकते हैं.
गांवों में काम की मांग अलग–अलग रहती है इसलिए संभावित आवेदनों का पता लगाने के लिए एक प्रणाली बनाई गई है. लेकिन सभी ग्राम पंचायतों के पास नहीं हैं.
लगभग 39 प्रतिशत शिकायतों का निवारण स्थानीय प्रशासन द्वारा नहीं किया गया.
 



Rural Expert
 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close