Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
भूख | शिक्षा
शिक्षा

शिक्षा

Share this article Share this article

What's Inside

असर–2022 : एनुअल स्टेटस ऑफ एज्युकेशन रिपोर्ट जारी, पढ़ें रिपोर्ट की मुख्य बातें  

प्रथम नाम का एक एनजीओ असर शीर्षक के साथ रपट जारी करता है। ये रपट गँवईं क्षेत्र में बच्चों के नामांकन की स्थिति और बुनियादी लिखाई–पढ़ाई की हकीकत को दर्ज करती है। वर्ष 2005 से हर साल, शिक्षा की वार्षिक स्थिति पर रिपोर्ट जारी की जाती थी। वर्ष 2016 और 2018 में दो वर्ष के अंतराल पर प्रकाशित की गई। हाल ही में 18 जनवरी, 2023 को असर रिपोर्ट 2022 प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट में 616 जिलों के 19,060 गांव और 3,74,554 घरों सहित 6,99,597 बच्चों को शामिल किया है।

इस रपट में ग्रामीण भारत के 5 से 16 साल की आयु वर्ग के बच्चों को शामिल किया जाता है।

कृपया रपट के लिए यहां, यहां और यहां क्लिक कीजिए।

शुरुआत करते हैं विद्यालय में नामांकन के आंकड़ों से–

विद्यालय में नामांकन

 

6 से 14 आयु वर्ग के 1.6 फीसदी बच्चे विद्यालय नहीं जा रहे हैं। 7 से 16 आयु वर्ग में ये अनुपात बढ़कर 2.3 फीसद हो जाता है।

लैंगिक आधार पर इन आंकड़ों को देखें तो 11 से 14 आयु वर्ग में स्कूल नहीं जाने वाले लड़कों का अनुपात 1.6 फीसद है और लड़कियों में यह अनुपात बढ़कर 2.0 प्रतिशत हो जाता है।

15 से 16 के आयु वर्ग में विद्यालय जाने वाले बच्चे, कुल बच्चों का 7.5 प्रतिशत थे। लड़कियों में यह अनुपात बढ़कर 7.9 हो जाता है और लड़कों में घटकर 7.0 हो जाता है।

 

सरकारी और निजी स्कूल के आधार पर देखें तो 11 से 14 आयु वर्ग वाले 69.2 % लड़के सरकारी स्कूल में और 28.7 निजी स्कूल में। लड़कियों के मामले में 74.1 फीसदी सरकारी स्कूल में और 23.4 फीसद सरकारी स्कूल में।

नीचे दी गई टेबल को देखिए-

 

15 से 16 के आयु वर्ग को देखें तो सभी विद्यार्थियों का सरकारी स्कूल में नामांकन 64.9 था और निजी में 27.2 प्रतिशत। लेकिन लैंगिक पहचान के चश्मे से देखें तो निजी स्कूलों में लड़कों की नामांकन स्थिति बढ़ जाती है, 29.2 फीसद हो जाती है। वहीं लड़कियों की तुलनात्मक रूप से (25.3%) कम है।

पूर्व प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित (3 से 8 के आयु वर्ग)

3 वर्ष के आयु वाले 21.7 फीसदी बच्चे किसी पूर्व विद्यालय या विद्यालय में नहीं जाते हैं। उम्र बढ़ने के साथ स्कूल नहीं जाने वालों का अनुपात घटता जाता है।

4 वर्ष की आयु वर्ग से स्कूल नहीं जाने वाले 12.3 फीसद हैं। घटते हुए 8 वर्ष की आयु वर्ग में केवल 1 फीसदी बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। नीचे दी गई टेबल को देखिए

 

  • सरकारी विद्यालयों में नामांकन– वर्ष 2018 के बाद 6 से 14 आयु वर्ग वाले बच्चों का सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़ा है। साल 2018 में 65.6 फीसदी बच्चे सरकारी स्कूल में थे जो कि बढ़कर 2022 में 72.9 प्रतिशत हो जाते हैं।

 

पढ़ना

 

नीचे दी गई सारणी में पढ़ने के स्तर के अनुसार बच्चों का प्रतिशत दिया गया है।

  • कक्षा 1 के बच्चों में 43.9 % अक्षर भी नहीं समझ पाते हैं, 35.3% अक्षर समझ लेते हैं, 12% शब्द भी समझ लेते हैं, 4.3% कक्षा 1 के स्तर का पाठ पढ़ लेते हैं, 4.5% बच्चे कक्षा 2 के स्तर का पाठ पढ़ लेते हैं।
  • कक्षा 5 के 6.1% बच्चे अक्षर भी नहीं समझ पाते हैं।
  • कक्षा 8 के 2.5 % बच्चे अक्षर भी नहीं समझ पाते हैं। कक्षा 8 में पढ़ने वाले मात्र 69.5 % बच्चे कक्षा 2 के स्तर का पाठ पढ़ पा रहे थे।
  • कक्षा 6 में पढ़ने वाले 13 प्रतिशत बच्चे शब्द को नहीं पढ़ या समझ पाए।
  • कक्षा 3 के ऐसे बच्चे जो कक्षा 2 के पाठ को पढ़ सकते हैं, का प्रतिशत 20.5 है। सरकारी स्कूलों में ये घटकर 16.3 % हो जाता है और निजी स्कूलों में बढ़कर 33.0% हो जाता है।
  • वर्ष 2018 में सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे कक्षा 3 के बच्चे जो कक्षा 2 के पाठ को पढ़ लेते थे, का प्रतिशत घटा है, 20.9% से 16.3 प्रतिशत हुआ है। ऐसा ही नज़ारा निजी स्कूलों के मामले में भी दिख रहा है।

गणित

वर्ष 2022 में कक्षा 8 के 1.6 फीसदी बच्चे 9 तक के अंकों की पहचान नहीं कर पा रहे थे। कक्षा 7 में पढ़ने वाले 1.9% बच्चे 9 तक के अंकों की पहचान नहीं कर पा रहे थे।

कक्षा 8 में पढ़ने वाले केवल 44.6% बच्चों को ही भाग विधि आती थी।

कक्षा 7 के केवल 24.7 फीसदी बच्चे ही घटाव कर सकते थे। कृपया नीचे दी गई सारणी को देखिए–

कक्षा 3 में पढ़ने वाले 25.9 फीसदी बच्चे घटाव या उससे अधिक कर सकते थे। निजी स्कूलों में यह अनुपात 43.1 फीसदी के आस–पास ठहरता है और सरकारी स्कूलों के संदर्भ में 20.2 प्रतिशत। समग्र, निजी स्कूलों और सरकारी स्कूलों, तीनों के अनुपात वर्ष 2018 की तुलना में कम है।

 

अंग्रेजी पढ़ना और समझना–

 

कक्षा 1 के 48.3 प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी के बड़े अक्षर भी नहीं पहचान पा रहे थे।

कक्षा 8 के 4.0 प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी के बड़े अक्षर भी नहीं पहचान पा रहे थे।

कक्षा 7 के केवल 39.7 फीसदी बच्चे ही सरल वाक्य पढ़ पा रहे थे।

कक्षा 8 के मात्र 46.6 प्रतिशत बच्चे सरल वाक्य पढ़ पा रहे थे। कृपया नीचे दी गई सारणी को देखिए–

कक्षा 7 के ऐसे बच्चे जो अंग्रेजी शब्द पढ़ सकते थे, उनमें से केवल 54.4% बच्चे ही उसका अर्थ बता पा रहे थे।

कक्षा 8 के ऐसे बच्चे जो अंग्रेजी वाक्य पढ़ सकते थे, उनमें से केवल 68.5 प्रतिशत ही उसका अर्थ बता पा रहे थे।

 

शुल्क देकर प्राप्त की गई ट्यूशन

 

कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों में शुल्क देकर ट्यूशन पढ़ने वालों बढ़ोतरी हो रही है। बात सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की करें तो वर्ष 2010 में ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों का अनुपात 22.5 % था जो कि 2022 में बढ़कर 30.9% हो जाता है।

निजी स्कूलों के मामले में यह बढ़ोतरी थोड़ी कम हुई है, 22.5% से 29.7 प्रतिशत की। कृपया नीचे दी गई सारणी को देखें!

अब बात वर्ष 2022 में फीस देकर ट्यूशन लेने वाले बच्चों की– कक्षा 1 से लेकर 8 तक के आंकड़े (सरकारी और निजी दोनों) क्रमशः 26.9%, 29.9%, 31.7%, 31.9%, 31.3%, 30.6%, 30.5% और 31.8 प्रतिशत था।

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी शुल्क देकर ट्यूशन ले रहे हैं। कक्षा 1 में 26 फीसदी बच्चे ट्यूशन ले रहे थे। कक्षा 8 में 33.8 फीसद विद्यार्थी फीस देकर ट्यूशन पढ़ रहे थे।

 

विद्यालय अवलोकन

 

  • मध्यान्ह भोजन के लिए रसोई की व्यवस्था में निरंतर सुधार आ रहा था। लेकिन, वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2022 में कमी देखी गई। साल 2018 में 91.0 फीसदी स्कूलों में रसोई सुविधा थी जो कि घटकर वर्ष 2022 में 89.4 फीसदी हो जाती है।
  • मिड डे मील प्राप्त करने वाले बच्चों के अनुपात में निरंतर वृद्धि हो रही है। वर्ष 2010 में ये अनुपात 84.6 % था जो कि बढ़ते हुए वर्ष 2014 में 85.1%, 2018 में 87.1 % और वर्ष 2022 में 89.5% हो जाता है।
  • वर्ष 2022 में 12.5 फीसदी स्कूल ऐसे हैं जहां पर पेयजल की कोई सुविधा नहीं है 11.4 फीसदी स्कूल ऐसे हैं जहां सुविधा तो है पर पेयजल नहीं।
  • वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार 2.9 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय की कोई सुविधा नहीं है। 21.9 फीसदी स्कूलों में शौचालय तो हैं पर प्रयोग करने योग्य नहीं हैं।

 

साल 2022 तक 10.8 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की सुविधा नहीं थी। 8.1 प्रतिशत स्कूलों में सुविधा थी पर ताला जड़ा हुआ था।

साल 2022 में 21.7% स्कूलों में पुस्तकालय नहीं था। 34.3% स्कूलों में पुस्तकालय तो है पर किसी बच्चे द्वारा उसका उपयोग नहीं किया जा रहा था।

21 वीं सदी के साल 2022 में करीब 77.3 फीसदी स्कूलों में कम्प्यूटर उपलब्ध नहीं था। 14.8 फीसदी स्कूलों में कम्प्यूटर तो था पर कोई भी विद्यार्थी उसका उपयोग नहीं कर रहा था।

 

उपस्थिति

प्राथमिक स्कूल में – वर्ष 2022 में सर्वेक्षण के दिन प्राथमिक विद्यालयों में कुल दाखिला ले चुके बच्चों में से 72.9 % उपस्थित थे। शिक्षकों की उपस्थिति 86.8 फीसदी थी।

उच्च प्राथमिक विद्यालयों के मामले में बच्चों की उपस्थिति 71.3% की थी और शिक्षकों की 87.5 प्रतिशत।

 



Rural Expert


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close