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भूख | सवाल सेहत का
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What's Inside

भारत के 15वें वित्त आयोग को सौंपी गई स्वास्थ्य क्षेत्र (2019) पर उच्च स्तरीय समूह की रिपोर्ट  का उपयोग करने के लिए कृपया यहां क्लिक करें. स्वास्थ्य पर उच्च स्तरीय समूह के सदस्य डॉ. रणदीप गुलेरिया, डॉ. देवी शेट्टी, डॉ. दिलीप गोविंद म्हैसेकर, डॉ. नरेश त्रेहन, डॉ. भबतोष विश्वास और प्रो के के श्रीनाथ रेड्डी थे.
 
एनएसएस के 75वें दौर की रिपोर्ट: भारत में सामाजिक उपभोग के प्रमुख संकेतक: स्वास्थ्य, जुलाई 2017 से जून 2018 (23 नवंबर 2019 को जारी) के प्रमुख निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए कृपया यहां क्लिक करें.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी की गई, इंडिया टीबी रिपोर्ट 2019 (सितंबर 2019 में जारी) के प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं (एक्सेस करने के लिए कृपया यहां क्लिक करें और यहां क्लिक करें):

• देश में 2018 में अनुमानित 27 लाख जन तपेदिक (टीबी) से पीड़ित हैं जोकि वैश्विक स्तर पर टीबी पीड़ितों की संख्या का एक चौथाई हिस्सा है.

• 2018 में, देश 21.5 लाख टीबी पीड़ितों की जानकारी प्राप्त करने में सक्षम था, जिसमें से 25 प्रतिशत निजी क्षेत्र से थे. अधिकांश टीबी के पीड़ित कामकाजी आयु वर्ग के थे. टीबी से लगभग 89 प्रतिशत पीड़ित 15-69 वर्ष आयु वर्ग के थे. टीबी के लगभग दो-तिहाई मरीज पुरुष थे.

• सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में ज्ञात पीड़ितों में से लगभग 19.1 लाख पीड़ितों (लगभग 90 प्रतिशत) का उपचार शुरू किया गया.

• लगभग पचास हजार टीबी पीड़ित एचआईवी से भी संक्रमित थे. इस हिसाब से टीबी-एचआईवी सह-संक्रमण दर 3.4 प्रतिशत थी.

• 2018 में, टीबी के ज्ञात मामलों की संख्या बढ़कर 5.37 लाख हो गई है, जोकि 2017 की तुलना में निजी क्षेत्र से प्राप्त आंकड़ों में 35 प्रतिशत की वृद्धि है.

• निजी दवा बिक्री के आंकड़ों के आधार पर, यह कहा जा सकता है कि 2016 में सार्वजनिक क्षेत्र की तुलना में निजी क्षेत्र में लगभग 1.59 गुना मरीज थे (कुल मिलाकर लगभग 22.7 लाख मरीज).

• भारत में लगभग 80 प्रतिशत पीड़ितो की देखरेख निजी स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र द्वारा प्रदान की जाती है. निजी क्षेत्र के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य कवरेज का विस्तार करने के लिए उनकी क्षमता का लाभ उठाने की आवश्यकता है.

• भारत सरकार के आदेश के अनुसार, टीबी 2012 से एक सूचनीय (बीमारी जिसकी सूचना स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को अवश्‍य देनी चाहिए) बीमारी है. जिसकी जानकारी इक्कठा करने के लिए सभी सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य सुविधाओं को टीबी निगरानी के दायरे में लेकर आया गया है. स्वास्थ्य सेवा प्रदानकर्ताओं को प्रत्येक टीबी के मामलों को स्थानीय अधिकारियों जैसे जिला स्वास्थ्य अधिकारियों/एक जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और नगर निगम के नगर स्वास्थ्य अधिकारी को सूचित करना होगा. यह अधिसूचना हर महीने की जानी चाहिए. मार्च 2018 में, अधिसूचना भारत के राजपत्र में प्रकाशित की गई थी, जिससे निजी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदानकर्ताओं को टीबी रोगियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को सूचित करना अनिवार्य हो गया था.

• उत्तर प्रदेश, जहां देश की कुल आबादी की 17 प्रतिशत आबादी रहती है, वहां सबसे ज्यादा टीबी के पीड़ित हैं. कुल ज्ञात सूचनाओं का 20 प्रतिशत, लगभग 4.2 लाख पीड़ित (प्रति लाख जनसंख्या पर 187 मामले) उत्तर प्रदेश से हैं.

• दिल्ली और चंडीगढ़, अन्य सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुकाबले उनकी आबादी के सापेक्ष अधिसूचना दरों के संबंध में थोड़े अलग हैं. दिल्ली और चंडीगढ़ में वार्षिक अधिसूचना दर क्रमशः प्रति लाख जनसंख्या पर 504 मामले और प्रति लाख जनसंख्या पर 496 पीड़ित हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले रोगियों को इन दो केन्द्र शासित प्रदेशों में चिन्हित किया जाता है.

• 2018 में, संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (RNTCP) ने 21.5 लाख टीबी पीड़ितों को चिन्हित किया, जोकि 2017 के मुकाबले 16 प्रतिशत ज्यादा थे.

• 13 टीबी-प्रतिरोधक दवाओं के लिए दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा राष्ट्रीय ड्रग रेजिस्टेंस सर्वे पूरा हो गया है और इसने देश में सभी टीबी रोगियों में 6.2 प्रतिशत दवा प्रतिरोधी टीबी के बारे में चिन्हित किया है.

• भारत सरकार देश में टीबी के लिए संसाधन आवंटन को प्राथमिकता दे रही है. 2017 से लेकर 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना के कार्यान्वयन में 12,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है. सरकार ने टीबी रोगियों को पोषण संबंधी सहायता के लिए निक्षय पोषन योजना (एनपीवाई) शुरू की है.

• यह उम्मीद की जाती है कि देश सभी टीबी मामलों को ऑनलाइन अधिसूचना प्रणाली के माध्यम से कवर करने में सक्षम होगा - NIKSHAY

 

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